सत्य के कितने कोण सत्य के कितने कोण
उस अब्र के भी जाने कितने रंग हो गए साए में इनके लोग भी बदरंग हो गए उस अब्र के भी जाने कितने रंग हो गए साए में इनके लोग भी बदरंग हो गए
कुछ सत्य के अघात अप्रत्याशित होते हैं , तीव्र पीड़ा असीम हो उठती है। कुछ सत्य के अघात अप्रत्याशित होते हैं , तीव्र पीड़ा असीम हो उठती है।
कितने ख़राब हो तुम कितने ख़राब हो तुम
दारुण दावानल सी प्रचण्ड बर्फ की परत सी शीतल सांझ की स्याह सी तिमिर ऐ ! जिंदगी कितने दारुण दावानल सी प्रचण्ड बर्फ की परत सी शीतल सांझ की स्याह सी तिमिर ऐ ! ...
ओडिआ साहित्य के व्यास कवि फ़कीर मोहन सेनापति जी के 'रेवती' मिशाल बनकर रह गई।१७ ओडिआ साहित्य के व्यास कवि फ़कीर मोहन सेनापति जी के 'रेवती' मिशाल बनकर रह गई।१७